Wandering in thoughts, traveling - unaware of the destination, at times getting wild in imagination, maintaining originality and avoiding argots... I relieve myself through penning down my thoughts...
on India's victory...World Cup 2011
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Winning is an excellent habit till it is supported with a high sense of humility.
[this letter is written by me to my daughter, Ashi, which I thought I should share with all] 1.4.15/Guwahati Airport Dear Ashi Today while reading a newspaper at Guwahati airport I read a news item that the department of posts ( India Post ), Government of India is closing down more than 100 years old money order service from 1st April 2015. I just thought since you have never seen anybody using this service today or used this service anytime yourself, you may not know its importance in the life of an individual in the yester years. So I thought to let you know this whole story and our experience and how important it used to be in our lives of which you are an important part today. Money Order was a service through which money could be sent to the addressee through hand. What was required was that you go to your nearby post office, fill up the form on both the sides on which you were suppose to put name and address of the person to whom you wanted money to be delivered, ...
बारिश की आव्यश्यक्ता सभी को है। प्रकृति का यह उपहार जीवन हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। बारिश से पानी है, पानी से जीवन। पानी और जीवन का साथ चोली दामन के साथ से भिन्न नहीं है। मिट्टी और पत्थर दोनों बारिश की प्रतीक्षा करते हैं। जहां एक ओर बारिश पत्थर को धोती व चमकाती है, दूसरी ओर मिट्टी बारिश की बूंदों को अपने मे संजोती है। मिट्टी के स्वरूप को परिवर्तित करने में पानी की अहम भूमिका है, और यदि वह बारिश का पानी हो तो चार चांद लग जाते हैं। मिट्टी ही तो पत्थर बनती है, और बिना पानी के ऐसा असंभव है। कुछ पत्थर पानी से मिट्टी बन जाते हैं। कुछ ही, सभी पत्थर नहीं। यह देश, काल व परिस्थिति पर निर्भर करता है। हम मिट्टी हैं, या पत्थर? --- गांव और शहर में मिट्टी और पत्थर का अंतर है| जिस गति से गांव शहर बनते हैं, उसी गति से मिट्टी, पत्थर बनती है। बारिश का पानी पत्थर से टकराता है, पत्थर को चमकाता है; अपने आवेग से पत्थर को मिट्टी बनाता है| लेकिन ऐसा कम ही होता है। पत्थर-वन अपने विस्तार में व्यस्त रहते हैं, बारिश के पानी के थपेड़ों से परे। मिट्टी पानी के साथ खेलती है, अपनी घनिष्टता को प्रदर्...
माँ लक्ष्मी के दर्शन हुए। साक्षात गुलाबी रंग में। लगभग ७० मिनट सपत्नी कतार में प्रतीक्षा के बाद। अनुभूति ऐसी कि मानो क्या पा लिया हो, एक अनूठी उपलव्धि की तरह। मेरी स्मरण शक्ति ने मुझसे कुछ कहा, पिछली बार कब इस प्रकार कतार में खडे हुए थे। उत्तर मिला, माँ कामख्या देवी के दर्शन के समय, लगभग दो, ढाई वर्ष पूर्व। वह भी अविस्मरनीय अनुभव था, क्योंकि दशमी का दिन था, किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं था और विशेषतः कोई वीआईपी दर्शन की कतार अलग नहीं थी। सभी को लाइन में खड़े होना था। कभी कभी भगवान के मंदिर में भी दर्शन हेतु समानता का भाव देखकर अच्छा लगता है। साल में कुछ दिन के लिए ही सही, कम से कम इतनी संवेदना अभी जीवित तो है। अर्थशास्त्र व राजनीतिशास्त्र की घनिष्ठता जग जाहिर रही है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर ऐडम स्मिथ के अर्थशास्त्र तक राजा, प्रजा, व नीति के परिप्रेक्ष में अर्थ की महत्वा हमेशा केन्द्र-बिंदु रही है। शासक, शासन व शोषण नीतिशास्त्र का अभिन्न अंग रहा है। शासन की क्षमता व्यक्ति विशेष के ज्ञान, पराक्रम व साहस से अधिक धन-बल पर निर्भर रही है। इसी कारण शासक की शक्ति उसके पास संचित लक...
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