मेरा देश बदल रहा है
माँ लक्ष्मी के दर्शन हुए। साक्षात गुलाबी रंग में। लगभग ७० मिनट सपत्नी कतार में प्रतीक्षा के बाद। अनुभूति ऐसी कि मानो क्या पा लिया हो, एक अनूठी उपलव्धि की तरह। मेरी स्मरण शक्ति ने मुझसे कुछ कहा, पिछली बार कब इस प्रकार कतार में खडे हुए थे। उत्तर मिला, माँ कामख्या देवी के दर्शन के समय, लगभग दो, ढाई वर्ष पूर्व। वह भी अविस्मरनीय अनुभव था, क्योंकि दशमी का दिन था, किसी प्रकार का प्रवेश शुल्क नहीं था और विशेषतः कोई वीआईपी दर्शन की कतार अलग नहीं थी। सभी को लाइन में खड़े होना था। कभी कभी भगवान के मंदिर में भी दर्शन हेतु समानता का भाव देखकर अच्छा लगता है। साल में कुछ दिन के लिए ही सही, कम से कम इतनी संवेदना अभी जीवित तो है। अर्थशास्त्र व राजनीतिशास्त्र की घनिष्ठता जग जाहिर रही है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर ऐडम स्मिथ के अर्थशास्त्र तक राजा, प्रजा, व नीति के परिप्रेक्ष में अर्थ की महत्वा हमेशा केन्द्र-बिंदु रही है। शासक, शासन व शोषण नीतिशास्त्र का अभिन्न अंग रहा है। शासन की क्षमता व्यक्ति विशेष के ज्ञान, पराक्रम व साहस से अधिक धन-बल पर निर्भर रही है। इसी कारण शासक की शक्ति उसके पास संचित लक